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मैं और मेरी मातृभूमि


21 October 2019 | By hiadmin | SISU

    70 साल पहले, सन् 1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई। इस गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं एक विदेशी भाषा सीखनेवाली विद्यार्थी होकर अपने सोच-विचार व्यक्त करना चाहती हूं।

    आज (1 अक्तूबर 2019) चीन लोक गणराज्य की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पेजिंग में भव्य सैन्य परेड चल रही है। सैन्य परेड सुबह 10 बजे कई लड़कों और लड़कियों के गाने से शुरू हो गई। वे गा रहे हैं कि: “मेरी मातृभूमि, आज तुम्हारा जन्मदिन है। आज सुबह मैंने पहाड़ के उस तरफ़ से कबूतर उड़ाए ताकि वो तुम्हारे लिए जैतून के पत्ते ला सके। मेरी मातृभूमि, तुम्हें जन्मदिन मुबारक हो...” इस समारोह में सबसे पहले चीनी सैनिकों की परेड का निरीक्षण किया जाता है। स्थल, जल और वायु सेना और अन्य प्रकार के सैनिक कतारों में आगे बढ़ रहे हैं। सैनिकों के अलावा, तरह तरह के हथियार भी निकल गए, जो हमारे देश की उन्नत हुई फ़ौजी ताकत प्रकट करते हैं। इस समारोह का हर क्षण चीनी लोगों के लिए गौरवपूर्ण क्षण है, क्योंकि हम अनुभव कर सकते हैं कि हमारे देश दिन प्रति दिन ज्यादा शक्तिशाली बन रहा है।

    मुझे याद है कि मैंने कुल तीन बार सैन्य परेड देखी, पहली बार 2009 में चीन लोक गणराज्य की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए सैन्य परेड और दूसरी 2015 में चीन-जापान युद्ध और द्वितीय महायुद्ध की विजय की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए सैन्य परेड है। इन तीन परेडों में 2015 में हुई परेड अन्य दो से थोड़ा अलग है, क्योंकि सन् 2015 से 70 साल पहले, यानी सन् 1945 में, जब जापान ने आखिर आत्म-समर्पण किया, तब द्वितीय महायुद्ध भी खत्म हो गया, जो आज तज मानव इतिहास में सबसे बड़े पैमाने का युद्ध था। उस समय अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए जाने कितने चीनी लोगों ने अपनी जान अर्पित की। इसीलिए उस युद्ध के स्मरण में हमें परेड आयोजित करने की आवश्यकता है। इस परेड में हमारे राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस फ़ैसले की घोषणा की कि चीन में सैनिकों की संख्या तीन लाख तक घटाई जाएगी, जिससे चीन की विश्व में शांति रखने की इच्छा दिख सकती है। 

    मुझे साफ़ याद है कि जब मैं ये तीन परेड देख रही थी, तो मुझे अलग अहसास हो रहा था। 2009 में मैं केवल 10 साल की थी, प्राथमिक स्कूल में पढ़ती थी। और मुझे चीन के इतिहास के बारे में बहुत कम जानकारी थी। तो अपने मां-पाप के साथ टीवी के सामने बैठते हुए परेड देख रही थी और वाह वाह भी कर रही थी। इसके 6 साल के बाद, 2015 में मैंने दूसरी बार परेड देखी। उस समय द्वितीय महायुद्ध के बारे में मैं सीख चुकी थी, सो मुझे इस परेड का महत्व और अर्थ कुछ कुछ समझ में सकता था। लेकिन इस बार की परेड मेरे लिए सबसे अलग है। देखते समय मुझमें अभिमान और उत्सुकता के साथ साथ कोई विशेष भाव भी उभर रहा है, जो पहले से बिल्कुल अलग है। यहां तक कि मेरे आंसू गिर पड़े।

    लेकिन ऐसा क्यों हुआ ? शायद वजह ये हैं: मैं कई विदेश में गई थी, यात्रा के लिए नहीं है, बल्कि पढ़ने के लिए, जैसे इंगलैंड, जर्मनी, भारत, नीदरलैंड, बेल्जियम इत्यादि इत्यादि। पढ़ने के कारण मैं इन देशों में बहुत लंबे समय ठहर भी गई, जैसे कि मैं नीदरलैंड में 44 दिन तक रहती थी। जभी मैं एक विदेश में गई, तभी मुझे यह मौका मिल सका कि वहां के स्थानीय लोगों से घनिष्ठ संपर्क रखूं और हर जगह की विशेष संस्कृति का अनुभव करूं। इस प्रकार मेरी अलग संस्कृतियों के साथ सहनशीलता बढ़ जाएगी, जो मेरी राय में विदेशी भाषा सीखने वाले विद्यार्थियों के लिए अत्यावश्यक है। 

    आज वैश्वीकरण का युग है। इस प्रसंग में हमें यह मानना चाहिए कि विश्व में तरह तरह की संस्कृतियां मौजूद हैं जिन्हें अच्छा या बुरा का भेद से नहीं देखा जाना चाहिए, सब को बराबरी मानना चाहिए। इसीलिए हमें हर प्रकार की संस्कृति का आदर भी करना चाहिए। इसलिए, जब विदेशी लोगों से संवाद करते हैं, तो इसपर ध्यान भी दिया जाना चाहिए कि उनकी हमसे अलग संस्कृति होती है और हमें उनकी संस्कृति का आदर करते हुए बात करनी चाहिए। 

    इतने अलग अलग देश जाने के बाद मैं निष्पक्षता से अपने देश को देख सकती हूं। मैं समझ सकती हूं कि अब चीन विकसित देशों के मुक़ाबले कुछ क्षेत्रों में सचमुच अब पिछड़ा रहता है, लेकिन दोनों के बीच दूरी कम होती जा रही है। इन 70 साल से, विशेषतः १९७८ की आर्थिक क्रांति  के बाद चीन का तेजी से विकास हो रहा है और आर्थिक, सामाजिक तथा संस्कृतिक सफलता मिल गई। अतएव आज चीनी लोग आत्मविश्वास के साथ बोल सकते हैं कि: “मुझे चीन से प्यार है।

    चीन के गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! आशा है कि मेरी मातृभूमि चीन सदा के लिए शांतिपूर्ण और समृद्ध हो। (Chen Anlan/लहर)

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