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छुट्टी में मिली एक सीख


26 October 2019 | By hiadmin | SISU

राष्ट्रीय दिवस की छुट्टी के पहले  दिन मैंने टीवी पर चीन का सेन्य परेड देखा, जो चीन का सत्तरवाँ जन्मदिन के लिए आयोजित हुआ है। वह इसलिए अभूतपूर्व घटना समझा जाता है कि वही समारोह से चीन दुनिया को ऐसा दृष्टिकोण दिखाता है कि दुनिया की सुरक्षा और शांति अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब राष्ट्रीय गीत बजाया गया और इसके साथ झंडा आसमान में फहराया गया, तब मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि हमारी महान मातृभूमि मज़बूत से मज़बूत होती जा रही है। जवान सैनिकों के दल थिआनमन के मंच के सामने गुजरे और उन्होंने मंच पर खड़े हुए राष्ट्रपति शी को प्रेणाम किया। इसी समारोह में मुझे बहुत से अलग शस्त्र देखने को मिले ,जिनमें कुछ मैं पहले से जानते थे ,लेकिन अधिक शस्त्र मैंने पहली बार देखा। सत्तर वर्षों से पहले चीन के पास उत्तम शस्त्र या नहीं था। किंतु जैसे जैसे हम इसी दौरान में अपने आप को सुधारते रहते हैं ,वैसे वैसे चीन अधिक से अधिक शक्तिशाली बना है ,जिससे आज पूरी दुनिया हमारे देश का सम्मन करती है। समारोह ख़त्म होने के बाद मेरे मन को लंबे समय शांति नहीं मिल रही थी ,क्योंकि मुझे अपनी मातृभूमि का विकास पर गर्व है और ख़ुद के चीनी होने पर गर्व है। 

शाम को मैंने शुभा के साथमैं और मेरी मातृभूमिनामक फ़िल्म देखी। इसी फ़िल्म में सात कथाएँ शामिल हैं जो चीन के विकास के अलग कालों में सात महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। इन सात कथाओं में से मुझेवापस आने वाला हैबहुत पसन्द थी, क्योंकि इसकी कथा ऐसी है कि जब 1997 वर्ष में हांगकांग मातृभूमि के गले में आख़िर वापस गया, तब हांगकांग के साधारण लोग भी उस के लिए तैयार कर रहे थे। साधारण लोगों की हैसियत से वे इतना प्रसन्न होते थे कि उनके मन खिल उठते थे। हालाँकि वास्तव में मैंने इस महत्वपूर्ण घटना का अनुभव नहीं किया , फिर भी इसे देखकर मुझे वही  क्षण होने पर गौरव लगा  था, क्योंकि यह हमारे देश मज़बूत बनने का प्रतीक भी है। 

छुट्टी के अंतिम दिन पर मैं मीना से मिली उसे देखते ही मैंने उसे गले से लगा लिया और हम स्वादिष्ट भोजन खाने के लिये उत्सुक थे अचानक हमने एक साइकिल देखा और मीना ने कहा कि उसे साइकिल चलाना नहीं आता मैं साइकिल चलाने की जानकारी रखती हूँ , इसलिए अपने ज्ञान को व्यवहारिक रूप में लाने की चाहत  में मैं उसे साइकिल चलाना सिखाने लगी सबसे पहले उसने बीच बीच में अपना संतुलन खोया अचानक वह साइकिल के साथ गिर पड़ी , जिससे मुझे चिंता हुई। सौभाग्य यह है कि मीना को चोट नहीं हुई , लेकिन इससे उसके मन में डर पैदा हुआ और दुबारा साइकिल चलाने की इच्छा नहीं थी। मैंने उसे साइकिल चलाना जारी रखने के लिये प्रेरित करने का प्रयास किया मैंने कहा कि अगर तुम अब छोड़ो तो सब कुछ जो तुमने पहले से किया वह भी व्यर्थ जाएगा।अंत में मेरी बात से काम आया। वह ज़मीन से उठकर साइकिल चलाने लगी। उसपर हंसी उड़ाए बिना मैंने विस्तार से उसे बताया कि उसे कैसे ठीक तरह से साइकिल चलाना चाहिए सब कुछ सुचारू रूप से चला गया कुछ समय के बाद मीना ने साइकिल चलाना सीख लिया, जिससे हम दोनों काफ़ी ख़ुशी से झूम उठे और हमारी दोस्ती और गहरी हो गई। उसने कहा कि तुम मेरे जन्म-जन्मांतर की दोस्त हो जाओगी।

मीना को सिखाने के अनुभव से मेरे मन में यह विचार आया कि हमारे महादेश की उन्नति भी इसीतरह हुई थी ? पिछले दो सौ वर्षों में चीनी लोगों ने बहुत अधिक कठिनाइयों को गुजार करके आख़ीर स्वतंत्रता और समृद्धि मिली। चाहे हमारे सामने कितनी मुश्किलें भी क्यों हो, हम लोग कभी नहीं कोशिश करने को नहीं छोड़ना चाहिए और विश्वास करें कि किसी कठिनाइयों पर जीत सकें।(Lei Ruoxi/रश्मि)

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