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“अंधाधुन”: फिल्म समीक्षा


12 December 2019 | By hiadmin | SISU

चीन में, जब लोग भारतीय फिल्म का उल्लेख करते हैं, उन्हें सबसे पहले थ्री ईडियट्स और दंगल जैसी शास्त्रीय फिल्म की याद आती है। लेकिन अगर आप उनसे और सवाल पूछें, तो संभव है कि वे कुछ नहीं बता सकें। ज्यादातर चीनी लोग हमेशा भारतीय फिल्मों को ऐसे लेबलोंlabelसे जोड़ते हैं, जैसे कि दोस्ती, मुहब्बत, सपना, भगवान, गीत और नृत्य आदि। इस तरह की गहरी छाप ने लोगों को भारतीय फिल्म की सच्ची जगत जाने से रोक दिया है। लेकिन अंधाधुन, इस फिल्म ने मेरी पहले वाली सोच को बिल्कुल तोड़ दिया है और वह मेरी पूर्वकल्पना से भी अधिक अद्भुत और अधिक उत्कृष्ट है।

वह एक सस्पेंस फिल्म है। कहानी है संगीत रचने की प्रेरणा ढूँढने के लिए पियानोवादक आकाश एक अंधा आदमी होने का दिखावा करता रहता था। और अंधक की पहचान से उसे बहुत लाभ पहुंचे। एक दुर्घटना में आकाश को संयोग से सुंदर लड़की सोफी मिली। और सोफी की सहायता से उसे एक नौकरी भी मिली। लेकिन जब उन दोनों के बीच प्रेम शुरू होने लगा, तब आकाश एक हत्या मामले के तूफान में फँसा था। असली अंधक होने के कारण आकाश ने वास्तव में हत्या का हकीकत सब देखा था। यह जानकर हत्यारे सिमी और उसके प्रेमी मनु किसी तरह से उसे मारना चाहते थे। आकाश उनके हाथों से बच गया, पर उन्होंने उसे एक असली अंधक बनाया इसके बाद हत्यारे के खिलाफ लड़ने में उसे डॉक्टर स्वामी, ड्राइवर मोली और मौसी साखू  का सहयोग मिला। बहुत कठिनाइयों पारकर वह आख़िर जीत गया और सुचारु रुप से लंड़न जाकर पियानो प्रतियोगिता में भाग लिया।

पूरी फिल्म का ताल बेहद संतुलित रखा जाता है। तो आकाश और सोफी के प्रेम में बहुत अतिरेक वर्णन किया जाता, तो संगीत और नृत्य पर बहुत समय बरबाद किया जाता। जब अभी अभी एक लड़ाई खत्म हो गई, तो फिर दूसरी अप्रत्याशित बात हुई। जाने अगले पल में क्या होगा। यही सिनेमा का जादू है कि देखते समय हर दृश्य दर्शकों की नब्ज पकड़ ले सकता है। फिल्म में बार बार नाटकीय उत्क्रमण क्लाइमैक्स एक एक करके लाते हैं। उदाहरण के लिए, एक दृश्य में जब लगता है कि सिमी आकाश को जहर देकर उसे मार देगी, तब परिणाम ऐसा आया कि वह मरने के बजाए अंधा हो गया।दूसरे दृश्य में हमें लगता है कि मददगार साखू, मोली और स्वामी के द्वारा आकाश बचाया जाएगा, पर वे लोग वास्तव में उसकी किडनी बेचना चाहते थे। 

उपरोक्त खासियत के अलावा, फिल्म का क्लू भी अच्छी तरह से व्यवस्थित है। पहले दृश्य में जिस खरगोश की एक आँख अंधी थी, उसका कुछ संबंध अंत में खरगोश के आकार की बैसाखी से है। साखू की बांह पर शिव का टैटूtattooपहले ही फिल्म में दिखाई देता है, जो बाद में प्रश्न का उत्तर देता है। सिर्फ चित्र का वर्णन इतनी अच्छी तरह से किया जाता ही नहीं, यहां तक ​​कि फिल्म में प्रत्येक गीत दृश्य के लिए बहुत उचित है, और ये गीत अतीत के पारंपरिक भारतीय गीत नहीं हैं, बल्कि आधुनिकता तथा भारतीयता का बेहतरीन मिश्रण है।

वास्तव में अंधाधुन फ्रेंच में एक फिल्म का रूपांतरण है। फ्रेंच फिल्म केवल बारह मिनट की है, जबकि अंधाधुन दो घंटे से अधिक की है। चूंकि अंधाधुन में अधिक भूमिकाएं और छोटी कथाएँ शामिल की जाती हैं, इसलिए वह फ़्रेंच वाली से अधिक लंबी और रंगीन है। एक कमर्शियल और मनोरंजक फिल्म के रूप में, कोई शक नहीं है कि अंधाधुन बहुत उम्दा रूपांतरण है। लेकिन सस्पेंस के संदर्भ में, मेरी राय में फ्रेंच वाली बेहतर है। वह फिल्म सिर्फ बारह मिनट में हिरो का बाह्य तथा आंत्रीय वर्णन के माध्यम से बेहद तनावपूर्ण माहौल बनाता है, बिना कोई अनावश्यक बातचीत और मनोरंजक विषय के। दर्शकों को केवल हत्या के मामले पर ध्यान देना चाहिए, यही सस्पेंस फिल्म का आकर्षण है। इस दृष्टि से देखें तो, अंधाधुन एक ही दृश्य में या बहुत कम समय में डर तथा तनाव भरा माहौल नहीं बनाया। ऐसे भयानक और गंभीर दृश्य में क्यों आकाश हत्यारों के सामने इतना आनंददायक धुन बजा रहा था? और क्यों सिमी ने सोचा कि अंधा बनने के बाद आकाश कला पर पूरा ध्यान देगा और अपने से बदला नहीं लेगा। यह बात तार्किक रूप से सही नहीं लगी।

उन छोटे-मोटे कमियों छोड़कर अंधाधुन का स्क्रीनप्ले उम्दा लिखा गया है। वह मेरी पूर्व-कल्पना को इसलिए तोड़ दिया कि इस फिल्म में उचित रूपांतरण के साथ अधिक गहरा अर्थ शामिल है। साधारण फिल्मों से अलग है कि वह इंसानियत की अच्छाई की प्रशंसा नहीं करती, बल्कि इंसानियत की बुराई के इर्दगिर्द घूमती है। हर भूमिका के किरदार में अपनी नकारात्मक छवि होती है। असल में सभी भूमिकाएँ ही नहीं, सब लोग के दिल में अंधेरे कोने होते हैं। बड़ा है या छोटा है। फिल्म में बहुत प्रसंग इस खासियत को पेश करते हैं  

फिल्म में ऐसा प्रश्न  है कि प्राण क्या है? वह जिगर पर निर्भर करता है। तो जिगर के सामने आप क्या चुनाव करें? अच्छाई या बुराई है? क्या अंत में आकाश भी एक अंधक है? क्या वह सोफी को सच बोलने जा रहा है? शायद नहीं। ये सब प्रश्न दर्शकों को सोचने छोड़े गए हैं। संक्षेप में, अंधाधुन सचमुच एक देखने लायक फिल्म है !(Liang Weiyan/दीप्ति)

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