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बचपन ना मिलेगा दोबारा(2)
22 April 2017 | By hiadmin | SISU
कमरे की दीवारों पर रंग ही रंग हैं। इस तरह पीला, नीला, लाल, निरंतर और उस तरह काला, बैंगनी, ग्रे, सुनहरा। ये चित्र बड़ों को कुछ समझ में नहीं आते हैं। डोल, ब्रश, पेन के बीच में एक रंग-बिरंग कपड़े पहनते हुए लड़की है। नहीं वह सफ़ेद कपड़े पहनती है। अब वह अपना अति उत्कृष्त कृति बन रही है और डोल में रंगीन पानी एक दम कागज़ पर डाल दिया।
क्या यह मेरा बचपन था? नहीं! यह सिर्फ़ मेरा ख़्वाब है। तो मेरा बचपन कैसा था? गणित, लेखन, सुलेख, पियानो, सैकड़ों कक्षाओं में गर्त में डाला गया, लाखों बच्चों की तरह। पुस्तक पढ़ने तथा अभ्यास करने में घृणा और निष्क्रियता दिखाते हुए नाक-भौं सिकोडीं। अगर अभी मुझे पूछेंगे: कितना याद है? बहुत कम। मुझे केवल यह याद है कि जब दस साल की थी मैं पड़ोसी क्लास के एक लड़का बहुत पसंद करती थी। मुझे यकीन है कि यह भाव ज़रूर बड़ों का इश्क नहीं था। बाद में मेरे अध्यापिका को पता चला और मेरे पिता को बता दिया। उस रात को मेरे पिता जी ने तितली जल्दी कोकून से निकलने, तो ज़रूर मरने की कहानी के ज़रिए मुझे दोस्ती तोड़ने का आदेश दिया। अगर वह रिश्ता अभी तक रहता, शायद माँ-बाप को दामाद ढूँढ़ने की चिंता ना होती। यह कहानी बताने का तात्पर्य यह है कि माता-पिता सिर्फ़ अपने बच्चे के क्षमता बढ़ाने, भविष्य में धन, प्रतिष्ठा आदि प्राप्त करने की तैयारी करने के लिए प्रयत्न किया करते हैं। इसके अतिरिक्त भाव, प्रकृति कोई महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। मैं माता-पिता को दोष नहीं दे रही हूँ। उन के सिर पर समाज का बोझ होता रहता है। समाज सदा ही यह संदेश भेज रहा है कि बलवान बनो और जीतो! पैसे सब कुछ हैं। लेकिन इतनी कक्षाएं लीं, इतनी परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं, हमें नहीं पता है कैसे जीना चाहिए? जीवन का लक्ष्य क्या है? विवेकानंद ने कहा जो शिक्षा जनसाधारण को जीवन संघर्ष के लिए तैयार नहीं करती, जो चरित्र निर्माण नहीं करती, जो समाज सेवा की भावना विकसित नहीं करती तथा जो शेर जैसे साहस पैदा नहीं कर सकती, ऐसी शिक्षा से क्या लाभ?
अभी चीन में जनता प्रतिनिधि सभा चल रही है। शिक्षा सुधार सदा ही चर्चा का केंद्र है। आशा है कि कुछ व्यवहारिक और लाभदायक परिणाम हो और बच्चे खुशी से अपना बचपन बिता सकें। दूसरी तरफ़ विवेकानंद पढ़कर मुझे लगता है कि उनके सोच, उन का चिंतन अमूल्य है। पर चीन में बहुत कम लोक उन के बारे में जानते है। उन को प्रचार और प्रसार करने का उत्तरदायित्व, हिंदी विद्यार्थी होने के नेता, हम ज़रूर उठाएंगे।(इंदु/Gu Qingzi)
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