प्रेस संपर्क

SISU News Center, Office of Communications and Public Affairs

Tel : +86 (21) 3537 2378

Email : news@shisu.edu.cn

Address :550 Dalian Road (W), Shanghai 200083, China

संबंधित लेख

दुनिया में कैसे हुआ है योग का प्रचार-प्रसार?


27 November 2020 | By hiadmin | SISU

अगर आप भारत की समृद्ध सांस्कृतिक संपदा के बारे में जानना चाहते हैं, तो ध्यान दीजिए कि योग इसका बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। योग की उत्पत्ति भारत में हुई और वह अब विश्व भर में लोकप्रिय हुआ। हजारों साल के विकास के बाद योग और इसके पीछे का सांस्कृतिक विचार अधिक से अधिक लोगों द्वारा पसंद किया गया है।

पहला. योग की उत्पत्ति

योग का अर्थ एकता, समन्वय और जोड़ना है। आम तौर पर यह माना जाता है कि इस परंपरा की उत्पत्ति सिंधु सभ्यता के युग (लगभग 2500 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व तक) में हो सकती है, जब कुछ तपस्वी ध्यान का अभ्यास करते थे, जिसे योग अभ्यास का मूल रूप माना जाता है।

आधुनिक युग में अधिकांश लोग योग को आत्म-साधना का एक तरीका मानते हैं, लेकिन दार्शनिक दृष्टिकोण से योग प्राचीन भारत के दर्शन की छह शाखाओं में से एक है, जो तीसरी-पांचवीं शताब्दी में शुरू हुआ था। योग दर्शन का मूल हिस्सा योग पर केंद्रित होता है। योग दर्शन का मानना ​​है कि चित्त की सभी वृत्तियों का निरोध करना योग है। और ध्यानमग्न होने की स्थिति में आत्मा परमात्मा में विलीन होती है। इस तरह के अभ्यास को योग कहा जाता है। जो लोग योग का अभ्यास करते हैं, उन्हें योगी कहा जाता है।

वास्तव में यह समझना मुश्किल नहीं है कि योग का उद्भव क्यों भारत में हुआ था। भारत के ग्रीष्मकाल में बहुत गर्मी होती है और अक्सर लू चलती है। गर्मी से बचने के लिए लोग आम तौर पर गतिविधियों को कम करने की कोशिश करते हैं और पेड़ के नीचे चुपचाप बैठे रहते हैं। संभवतः पहले ही लोग शारीरिक आराम के लिए योग का अभ्यास करते हैं, लेकिन समय के साथ योग मन को नियंत्रित करने के तरीके के रूप में लोकप्रिय होने लगा।

दूसरा. आधुनिक योग का विकास

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी योगप्रेमी हैं। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने 69वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव रखा कि प्रत्येक वर्ष में 21 जून, यानी ग्रीष्म संक्रांति को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्थापित किया जाए, जिसका समर्थन संयुक्त राष्ट्र के 175 सदस्य देशों ने किया। मोदी जी ने कहा, "उत्तरी गोलार्द्ध में यह दिन पूरे वर्ष का सबसे लंबा दिन है, और इसका दुनिया के कई देशों के लिए विशेष अर्थ है। योग हमारी प्राचीन परंपराओं का अनमोल उपहार है। योग मन, शरीर, विचारों और कार्यों की एकता का प्रतीक है। यह हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए लाभदायक है। योग सिर्फ़ व्यायाम का तरीका नहीं है, यह खुद को, दुनिया और प्रकृति को एकीकृत करने का एक तरीका भी है। "

21 जून, 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए हजारों लोगों ने नई दिल्ली के राजपथ पर मोदी के नेतृत्व में योग का अभ्यास किया। भारतीय सरकार का कहना है कि यह एक नया गिनीज रिकॉर्ड है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बॉलीवुड फिल्मों के अलावा, योग दिवस की स्थापना करना और मनाना भारत के सांस्कृतिक निर्यात का एक और सफल उदाहरण है।

तीसरा. चीन में योग की परिस्थिति

चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास दो हज़ार वर्षों से ज्यादा है, और योग का प्रभाव हर काल में दिखाई देता है। थांग राजवंश के महाभिक्षु ह्वेनसांग ने योग का अनुवाद चीनी में किया और इसे“瑜伽”(युच्या) का नाम दिया। दरअसल योग संस्कृति चीन में प्रवेश होने के लंबे दौरान में, उसका अस्तित्व और उसका प्रचार-प्रसार के मुख्य तरीके बौद्ध धर्म से जुड़े थे।

चीन में आधुनिक योग का व्यापक प्रचार-प्रसार हाल के वर्षों में ही हुआ है। हालाँकि सन् 1939 में "द फर्स्ट योगा लेडी" देवी ने शंघाई में आकर चीन का पहला योग स्टूडियो खोला। लेकिन चूंकि उस समय चीन में योग के प्रचार-प्रसार के लिए अच्छी स्थिति नहीं थी, इसलिए 20वीं शताब्दी में आधुनिक योग चीन में बहुत लोकप्रिय नहीं था।

21वीं शताब्दी की शुरुआत में चीन में योग का प्रचार मुख्य रूप से योग एसोसिएशन और योग अकादमी जैसी निजी संस्थाओं पर निर्भर रहा है। हालाँकि जब भारत योग के माध्यम से "नरम कूटनीति" अपनाने लगा, योग औपचारिक कार्यक्रमों में भी नज़र आने लगा और सरकार का समर्थन भी चीन में योग के प्रचार में योगदान करने लगा। इसके अलावा, "कुंग फू योगा" जैसी लोकप्रिय फिल्में भी बड़े पर्दे पर भी दिखाई दी हैं, जो दोनों देशों की संस्कृतियों को एकीकृत करने की कोशिश करती हैं।

सौभाग्य की बात है कि मुझे योग संस्कृति का अनुभव करने के लिए भारत के एक योग संस्थान में जाने का मौका मिला। यह मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। नई दिल्ली के जगमगाते क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद इस संस्थान में शांति ही शांति फैली है। शिक्षण भवन बड़े पेड़ों के बीच छिपा हुआ है। हमें एक विशाल और प्रकाशमान योग क्लासरूम में ले जाया गया और हमने योग शिक्षक के निर्देश में सरल योग आसन सीखना शुरू किया। सूरज की रोशनी खिड़कियों से कमरे में फैल गई। शिक्षक के स्पष्ट और स्थिर निर्देशों का पालन करते हुए, हमने प्राणायाम का अभ्यास करना शुरू किया, चिंताओं को भूल गए और अपने विचार में मग्न होने लगे। ऐसा लगता था कि यहां समय का प्रवाह धीमा पड़ गया। बाद में शिक्षक ने हमें कुछ कठिन योग आसन दिखाए। बीच-बीच में कोई न कोई कहने लगा, “वाह! वे अपने शरीर को ऐसे नियंत्रित कर सकते हैं!" और ध्यान देने लायक बात यह है कि योग कक्षा के बाद जब हम संस्थान में घूम रहे थे, कोरिया से आए पर्यटकों को भी देखा था।

दो हजार से अधिक वर्षों के विकास के बाद अब योग सिर्फ़ साधना या व्यायाम के तरीके तक सीमित नहीं है। सबसे पहले योग को शरीर को मजबूत करने के तरीके के रूप में माना जाता था। बाद में साधना के रूप में। और आजकल योग में निहित सांस्कृतिक अर्थ पर ध्यान दिया जा रहा है। योग के बारे में लोगों की समझ लगातार समृद्ध होती जा रही है।लहर/Chen Anlan

साझा करें:

प्रेस संपर्क

SISU News Center, Office of Communications and Public Affairs

Tel : +86 (21) 3537 2378

Email : news@shisu.edu.cn

Address :550 Dalian Road (W), Shanghai 200083, China

संबंधित लेख