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महामारी के दौरान मैं भारत में थी
09 March 2021 | By hiadmin | SISU
परिवार के साथ पुनर्मिलन रात्रिभोज करना मेरे लिए इस नव वर्ष की सबसे खुशी की बात है। जब घर के टीवी से वसंत त्योहार गाला के उलटी गिनने और खिड़की के बाहर पटाखे जलने की आवाज एक ही समय में सुनाई दे रही थी, तो मैं एक साल पहले अन्य छात्रों और पर्यटकों के साथ भारत में चीनी नव वर्ष मनाने के दृश्य को याद करने लगा। पिछले साल मैंने बहुत अनुभव किया और बहुत मदद मिली।
2020 के नव वर्ष की पूर्व संध्या पर एक चीनी दंपति ने हमें नए साल मनाने के लिए आगरा के अपने चीनी रेस्तरां में जाने का निमंत्रण किया। उस समय जब चीन में महामारी फैल रही थी, भारत में केवल तीन आयातित मामले थे। रेस्तरां में बहुत चीनी पर्यटक थे। आनंदमय और सौहार्दपूर्ण माहौल में हमने एक साथ चीनी पकौड़ी बनाया और हॉटपॉट खाया। खाना खाने के बाद लोग चीन में हो रही महामारी के बारे में बात करने लगे। धीरे-धीरे रेस्तरां में चिंता का माहौल छाया। हमने चीन में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के बारे में बात की। चीन में पुष्टि की गई मामलों की संख्या के अपडेट समेत मातृभूमि के सब कुछ पर ध्यान रखा। समान सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के अलावा, विदेश में जो हमें एक साथ बांधता है, वह भी है संकट की ऐसी परिस्थिति में मातृभूमि को लेकर जताई गई चिताएँ।
दो महीने बाद 24 मार्च को भारत में महामारी के तेजी से फैलने को रोकने के लिए भारत सरकार ने अचानक एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। विश्वविद्यालय ने सभी पाठ्यक्रमों को बंद कर दिया और छात्रों के बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। चूंकि विश्वविद्यालय के भोजनालय में केवल सरल शाकाहारी भोजन उपलब्ध था, ज्यादातर विदेशी छात्र खुद से खाना बनाना पसंद करते थे। लेकिन प्रतिबंध लगा दिया जाने के बाद फलों और सब्जियों आदि को खरीदने में बहुत कठिनाइयां आईं और जो खाना भोजनालय से मिलता था, वह रोज़ कम होता जाता था। चाय दूध के कम हो जाने के कारण फीकी हो गई और पहले प्रति व्यक्ति को दो अंडे रोज़ मिलते थे, अभी केवल एक या कुछ नहीं। शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए उचित मात्रा का भोजन नहीं मिल पाने के कारण हर व्यक्ति रोज़ पतला होता जाता था। इतना ही नहीं उस समय भारत में मौसम इतना गर्म था कि तापमान 47 डिग्री तक पहुंच गया। लेकिन डॉरमेटरी में एयर कंडीशनिंग नहीं थी। हमारे दैनिक जीवन हर दिन अधिक मुश्किल होता जाता था। कम रक्त शर्करा और हीट स्ट्रोक के कारण हमारा एक सहपाठी कई बार बेहोश हो गया।
सौभाग्य की बात यह है कि भारत में चीनी दूतावास के कर्मचारी हमेशा हम लोगों की चिंता करते थे। न केवल हमें दो बार सैनेटाइजर, मास्क, ग्लव्स सहित अन्य स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी सामग्री की किट भेजी, बल्कि कई बार विश्वविद्यालय से बात की ताकि हम विश्वविद्यालय की छात्रावास से बाहर निकल सकें और एक चीनी कंपनी में जाएं जिसने हमें मुफ़्त भोजन और आवास उपलब्ध कराया था।
जून की शुरुआत में दूतावास ने भारत में फंसे हुए चीनी लोगों के घर वापस जाने के लिए चार्टर्ड उड़ान का बंदोबस्त किया। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के रूप में हमें हवाई टिकट खरीदने की प्राथमिकता भी मिली। 8 जून की शाम को जब हमारा विमान दिल्ली हवाई अड्डे से रवाना हो रहा था, हवाई जहाज के चालक दल के सदस्य ने घोषणा की: "मातृभूमि में कोरोना महामारी पर काबू पा लिया गया है। हम आपको घर ले जाने के लिए आते हैं।" यह सुनकर आंखों में आंसू छलछलाने लगे और मुझे गहराई से चीनी होने का गर्व महसूस हुआ।(Mei Yongqi/कांता)
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