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जैनेन्द्र कुमरा के उपन्यास त्याग-पत्र का सारांश
26 April 2021 | By hiadmin | SISU
“त्याग-पत्र” जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखे गए सबसे प्रभावशाली उपन्यासों में से एक है। उपन्यास एक वकील द्वारा लिखित त्याग पत्र को लेकर कथा बनाकर पाठकों के सामने रखा है। यह पारंपरिक समाज और सामंतवाद को उजागर करते हुए नायक दयाल की बुआ के पीड़ित जीवन को आत्मकथा के रूप में बताता है। उपन्यास पारंपरिक समाज और सामंती विचारों द्वारा शोषित महिलाओं के दमन और उत्पीड़न को दर्शाता है । उपन्यास का कथानक अपेक्षाकृत सरल है, पर इसमें बहुत सारे मनोवैज्ञानिक एकालापों और आध्यात्मिक गतिविधियों के विवरणों से भरा हुआ है। लेखक नायक की नज़र से उपन्यास के कथानक के विकास को बढ़ावा देता था।
लेख कुल आठ अध्यायों में विभाजित है। पहले अध्याय में दयाल की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया गया है, बुआ की शादी करने के पहले दयाल के और बुआ के बचपन के अनुभवों का वर्णन किया गया है। शुरुआत में बुआ की जीवंत, सुंदर और चुस्त युवा छवि को चित्रित किया गया है। उपन्यास के पहले पैराग्राफ में दयाल की तर्कसंगत विचार और उसके वकील के पेशे का परिचय देते हुए यह प्रतिबिंब किया गया है कि वह अपने पर निंदा के कारण नौकरी छोड़ना चाहता था। इस विचार से अपनी बुआ की दयनीय जीवन की यादें आती हैं। दयाल के पिता एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे, और उस की माँ एक गृहिणी थीं। दयाल की बुआ मृणाल बचपन से उसके साथ रहती थी और उन्हें दयाल की माँ द्वारा कड़ाई से अनुशासित किया जाता है। बचपन में दयाल और बुआ बहुत घनिष्ठ संबंध के थे। वे दोनों अपने रिश्तेदारों के प्यार में बड़े हुए। इस समय, बुआ सुंदर, स्मार्ट और जीवंतता से भरी हुई है। एक दिन मृणाल को दयाल की माँ ने कमरे में बंद कर दिया और पिटाई की थी। तब से मृणाल कभी स्कूल नहीं गई और शादी करने के लिए मजबूर हुई।
दूसरा अध्याय यह बताता है कि जब मृणाल अपनी शादी के बाद घर लौटी तब क्या हुआ। एक ओर, भाषा और व्यवहार के वर्णन के माध्यम से यह वर्णित है कि मृणाल एक लड़की से एक गृहणी में परिवर्तित हुई। दूसरी ओर, मृणाल ने उस की सहेली सिला के भाई को पत्र लिखा जिससे यह पता चला कि उन के बीच अतीत में कभी किसी तरह का प्रेम हुआ। साथ ही बाद में मृणाल अपने पति छोड़ने का कारण इधर ही दिख गया।
तीसरा अध्याय में शादी के आठ या नौ महीने बाद मृणाल दयाल के घर में अस्थाई रूप से दयाल के घर में ठहरने का वर्णन किया गया। इस समय के दौरान, मृणाल के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन जबरदस्त रूप से हुए, और वह एक मृत शरीर की तरह हो गई है। उसे उसके पति द्वारा निष्ठाहीन माना गया था, क्योंकि उसने सिला के भाई की प्रशंसा करती थी। वह सामंती विचारों और सामाजिक नैतिकता को ध्यान में रखकर अपने परिवार को सच्चाई बताने के लिए तैयार नहीं थी। पारंपरिक सोच में, एक विवाहित महिला का भाग्य उसके पति के हाथ में होता है, और उसके परिवार भी हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इससे मृणाल की स्थिति को दयाल के पिता और माँ को अनदेखा करना पड़ा, और मृणाल के भाग्य को दयनीय दिशा में आगे बढ़ना जारी रहा। मृणाल ने अपने पति का समर्थन खो दिया और मायके के परिवार का समर्थन नहीं पा सकी और आखिरकार उसे दुख की नियति का सामना करने वापस चलना पड़ा।
चौथे अध्याय का कथानक यह है कि दयाल ने मृणाल के बारे में लंबे समय तक ख़बर नहीं सुनी। बाद में, उसे पता चला कि मृणाल को उसके पति ने छोड़ दिया और घर से बाहर निकाल दिया गया था और फिर दूसरे शहर में रहने चली गई। तब से वह एक कोयला विक्रेता के साथ रहती थी।
पांचवें और छठे अध्याय दयाल और मृणाल के बीच पुनर्मिलन के बारे में लिखे गए हैं। दयाल एक बार उस शहर से गुजरा था जहाँ उसकी बुआ रहती थी और उसने अपनी बुआ को एक गंदी बस्ती में पाया। उस समय बुआ समाज द्वारा निष्कासित एक हीन व्यक्ति बन गयी थी, गंदे और कठोर वातावरण में रह रही थी, और दयाल और बुआ के सामाजिक स्थान में बड़ा अंतर बन गया।
सातवें अध्याय में, दयाल ने घर लौटने के बाद अपनी बुआ जो झुग्गी में रहती थी, को याद किया, लेकिन जब वह दुबारा वहाँ गया तो उसे अपनी बुआ नहीं मिली। उसने पूछताछ की और पता चला कि कोयला बेचने वाले द्वारा छोड़ दिया जाने के बाद, बुआ ने एक बच्ची को जन्म दिया, जिसकी जन्म की कुछ दिन बाद ही भूख, गरीबी और बीमारी से मृत्यु हो गई। हालांकि दयाल चिंतित था, स्नातक परीक्षा के कारण उसका मन विचलित होने का अवकाश भी नहीं था। संयोग की बात है कि दयाल को एक लड़की से रिश्ता बनाने के लिए मिलना था और उसी घर में अपनी बुआ से मुलाकात हुई, जहाँ बुआ एक ट्यूटर के रूप में काम करती थी। जब दयाल ने इस ट्यूटर के साथ रिश्ते को स्वीकार किया, तो न केवल शादी का रिश्ता रद्द कर दिया गया, बल्कि बुआ ने भी अपनी नौकरी खो दी। उसके बाद बुआ की कोई खबर नहीं थी।
आठवें अध्याय में, आखिरी बार दयाल ने बुआ देखी जब बुआ अपने बिस्तर पर थी। बुआ गंभीर रूप से बीमार थी। इस समय, दयाल एक सफल वकील बन गया था, और बुआ एक निम्न वर्ग की व्यक्ति हो गई थी, जो कूड़ेदान में रहती थी। उसे लंबे समय से दुनिया के खतरों और बुराइयों की आदी होती थी। उसने अपनी बुआ से एक पत्र प्राप्त किया। दयाल के लिए मृणाल का अंतिम अनुरोध उसके लिए कुछ पैसे छोड़ना था, लेकिन दयाल ने उसे अस्पताल जाने के लिए जोर देते हुए कहा, और बुआ के अनुरोध को पूरा नहीं किया। तब से, दयाल सत्रह वर्षों से अपनी बुआ के पास नहीं गया। एक दिन जब दयाल को अपनी बुआ की मृत्यु के बारे में बुरी खबर मिली, तो उसने अपने पर बुरी तरह निंदा की, जिससे उसने त्यागपत्र लिखा।(Zhang Hong)
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