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भारतीय रेस्तरां ग्रिल मास्टर में भारतीय दोस्तों से मिले


29 April 2021 | By Yin Xiaowei&Chen Yue | SISU

कहा जाता है कि भोजन प्रत्येक मनुष्य की पहली आवश्यकता है। किसी देश का आहार उस देश की संस्कृति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो न केवल स्थानीय मौसम और फ़सलों की विशेषताओं को बताता है, बल्कि लोक रीति-रिवाज़ और राष्ट्रीय मानसिकता को दिखाता है। चीन और भारत दोनों ही पारंपरिक कृषि प्रधान देश हैं, जिनके कृषि उत्पादों में समानताएं हैं, लेकिन आहार की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। 

 

शांघाई में बहुत रेस्तराँ हैं, जिनमें भारतीय खाना उपलब्ध है, जैसे तंदूरी रेस्तराँ, मसाला रेस्तराँ और शाकाहारी रेस्तराँ। 22 मार्च, 2021 को शांघाई विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यापिका कू छिंगत्सी के नेतृत्व में 12 विद्यार्थी Grill Master नामक भारतीय रेस्तराँ गए, जो वेनहुई रोड के पश्चिमी छोर पर स्थित है, और वहाँ के कर्मचारियों की कहानियाँ सुनते हुए एक खुशनुमा दोपहर बिताई है।

 

विद्यार्थी रेस्तराँ में घुसते ही रेस्तराँ की मालकिन दीदी चिंग ने सब का स्वागत किया और रेस्तराँ के दो कुशल भारतीय बावरचियों को विद्यार्थियों की मदद करने के लिए कहा ताकि विद्यार्थी दो भारतीय स्नैक्स "पानी पूरी" और "सेव पापड़ी चाट" बना सकें। इन दो "भयानक" दिखने वाले स्नैक्स पर विद्यार्थियों की नज़र तुरन्त ही जम गई। जिज्ञासा से प्रेरित होकर सब लोग अपनी इच्छानुसार स्नैक्स बनाने की कोशिश करने लगे। जब एक-एक अजीब सी छोटी चीजें पेट में पहुंच गयीं, तो सब को समझ में आया कि जैसे "व्यक्ति की पहचान उसके रंग-रूप से नहीं होती", भोजन को लेकर यह भी सत्य है। इतने छोटे और साधारण भारतीय जलपान के भीतर इतने अच्छे स्वाद हैं! लगता है कि बावरचियों को विद्यार्थियों की मनःस्थिति मालूम हो गई हो और हमें भारतीय चाय बनाने की विधि दिखाने लगे- सौंफ, दालचीनी,चक्र फूल, अदरक के चिप और भारतीय दूध के मिश्रित होने से अचानक दुकान में दूध और मसाले की मिली-जुली ख़ुशबू फैल गई।

यहाँ पाठकों को इस स्वादिष्ट भारतीय स्नैक "पानी पूरी" का परिचय देना चाहिए। हिंदी में पानी पूरी का मतलब "पानी से भरी पूरी" है। कभी इसे "गोलगप्पे" या "गुपचुप" के नाम से जाना जाता है। पानी पूरी को मजेदार बनाने के लिए इसमें आलू, प्याज मिर्ची, मटर से बने हुए चोखे को आधा भरकर पुदीने और इमली के रस से पूरा भरा जाता है। इसके अलावा अलग अलग प्रकार के पानी पूरी सौंठ की चटनी, मीठी गुलाब पानी, या दही भरकर अलग अलग प्रकार के पानी पूरी भी बनाए जा सकते हैं। भारत में पानी पूरी बहुत लोकप्रिय है। चीन के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर "पानी पूरी" सर्च करें,तो आसानी से भारतीय भोजन ख़रीद सकते हैं, लेकिन सामग्रियां कम होने के कारण इंटरनेट से खरीद लिए गए पानी पूरी का स्वाद इतना संतोषजनक नहीं है।

 

खाना तैयार होने के बाद ताज़ा चाय पीते हुए विद्यार्थी मैनेजर के साथ हिंदी और अंग्रेज़ी में बातचीत करने लगे। बातचीत में हमें पता चला कि मैनेजर के परिवार अब भारत में हैं और महामारी के कारण वह दो वर्ष से भारत में वापस नहीं जा पाया। विदेश में रहना कठिन है, लेकिन दोस्ताना एवं उत्साही चीनी दोस्तों की संगति में जल्दी चीनी लोगों की रहन-सहन से परिचित होकर उसका जीवन अच्छा बनता रहता है और कभी अकेलापन नहीं महसूस होता। 


आँकड़े के अनुसार अब शांघाई में काम करने वाले विदेशियों की संख्या लगभग 215 हज़ार है, जिनमें लगभग 6000 भारतीय हैं। केवल खान-पान के उद्योग में ही नहीं, नाना प्रकार के उद्योगों में भी वे मेहनत से काम करते हैं। ये भारतीय गहराई से शंघाई से जूड़े हुए इस शहर के विकास को आगे बढाने में भाग लेते हैं। पिछले साल के फ़रवरी में जब चीन में कोविड-19 महामारी तेजी से फैल रही थी, तब सार्वजनिक भलाई के लिए शांघाई भारतीय संघ द्वारा "Solidarity" नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें शांघाई में रहने वाले भारतीयों ने चित्र, संगीत और निबंध आदि के ज़रिए चीन की महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई को समर्थन दिया था।

 

फिर मैनेजर चीन में प्राप्त अपना अनुभव साझा करने लगा। सबसे पहले वह चीनी बाज़ार की असीम संभावना से आकृष्ट होकर शांघाई आया, जिस में मौके और चुनौतियां भरी हुई हैं। शांघाई में कई साल रहने के बाद उसे चीनी व भारतीय संस्कृतियों की समानताएं महसूस होने लगीं। काम करने के दौरान उसने कुछ आसान चीनी वाक्य सीखे हैं, जिनसे वह ग्राहकों के साथ कुछ बातचीत कर सकता है। 


अपनी कहानी सुनाने के बाद मैनेजर ने अपने बेटे को एक वीडिओ कॉल किया और उसे चीनी हमउम्र के साथ बातचीत करने के लिए कहा। बातचीत के दौरान हमें एहसास हुआ कि हालाँकि हम अलग राष्ट्र से आए हैं और अलग भाषा बोलते हैं, लेकिन एक उम्र के होने की वजह से दोनों पक्षों के बहुत समान शौक़ हैं, जैसे सबको ऐनिमेशन पसंद है। वार्तालाप के बाद दोनों पक्षों के बीच गहरी दोस्ती पैदा हुई है।

 

फिर विद्यार्थी रेस्तराँ की मालकिन दीदी चिंग के साथ बातचीत करने लगे। उसने हमें बताया कि यहाँ के भोजन को कभी स्थानीयकरण नहीं किया गया और कच्चे माल भी भारत से आए हैं, जिससे पारंपरिक भारतीय स्वाद बनाए रखा जा सकता है। पहले काम करते समय उसे अपने भारतीय पति मिला और बाद में एक साथ इस रेस्तराँ को खोला है। हालाँकि अब कुछ कठिनाइयाँ सामने आई हैं, उसे विश्वास है कि अगर सब उपायों का प्रयोग करें और समस्याओं का सामना करें तो संकट का समाधान अवश्य मिलेगा। उसने फिर अपनी युवा उद्यमी बनने की कहानी सुनायी और हमें प्रोत्साहन दिया कि जवान हैं तो नवाचार करना चाहिए और जीवन को एक खेल समझकर इसे जीतने की कोशीश करनी चाहिए। वह मानती है कि भारत एक व्यापक बाज़ार है, जिसमें बहुत संभावनाएँ मौजूद हैं। अगर हम अच्छी तरह से अपनी भाषा का प्रयोग कर सकें, तो ज़रूर इस महासागर में असीम बहुमूल्य उपलब्धियाँ मिलेंगी।

 

समय तेज़ी से बीत गया। हँसी-मज़ाक़ के बीच सूर्यास्त का समय हो गया। इस गतिविधि में हमने खुद भारतीय स्नैक्स एवं चाय बनाने की कोशिश की और साथ ही विशेष दोस्ती प्राप्त हुई। यही नहीं, बातचीत से हमें पता चला, शांघाई में रहने वाले भारतीयों की स्थिति और शांघाई व चीन के प्रति उनके विचार। और महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें बहुमूल्य अनुभव प्राप्त हुआ। बाद में हम इस अनुभव को अपना दिक्सूचक बनाकर संभावनाओं की खोज करेंगे और सफलता का दरवाजा खोलेंगे।

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