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नानजिंग की यात्रा


27 May 2018 | By लहर (Chen Anlan) | SISU

    इस सप्ताहांत में (2018.5.19-5.20) मैंने सिसु के कुछ विद्यार्थियों और अध्यापकों के साथ नानजिंग की यात्रा की। इस यात्रा में  हमारे बहुत अर्थपूर्ण और शिक्षाप्रद अनुभव हुए।

     

 

    उन्नीस तारीख को दोपहर के बाद हम नानजिंग संग्रहालय गए और हमने लगभग दो घंटे के लिए इसमें दर्शन किए। इसमें अलग अलग प्रकार ढंग की वस्तुएँ, जो चीनी संस्कृति की कहानी बता रही हैं, प्रदर्शित की जाती हैं। इसलिए वह चीन के कई प्रसिद्ध संग्रहालयों में गिना जाता है और रोज़ हज़ारों लोग उसके दर्शन करने आते हैं। वहाँ प्रदर्शन की वस्तुएँ इतनी अधिक हैं कि विस्तार से दर्शन करने के लिए दो घंटे काफ़ी ही नहीं हैं। हमने पूरे संग्रहालय में ज़रा दौड़ते हुए ही सभी प्रदर्शन की वस्तुएँ एक झांकी में देख लीं। मेरी राय में संग्रहालय में दर्शन करना इतिहास समझने का आवश्यक अंग है और इतिहास जानकर हम सिर्फ़ अच्छी तरह स्वदेश की संस्कृति समझ सकते हैं, बल्कि भविष्य के विकास के लिये शिक्षा भी मिलेगी।

      बीस तारीख की सुबह हम नानजिंग विपत्ति के स्मारक-भवन के सामने गए। वह हमारे इस सफ़र की प्रमुख मंजिल थी। 1931 से 1945 तक जापान चीन पर आक्रमण करते रहे और चीन उसके खिलाफ लड़ता रहा। 1937 में जब जापान ने नानजिंग पर कब्जा किया तब जापानी सैनिक  बहुत भीषण रूप में सिर्फ़ बड़ी संख्या में चीनी लोगों की हत्या करने लगे, बल्कि कई प्रकार से चीनियों को सताने भी लगे। इस घटना को स्मरण करने के लिये ही यह स्कारक-भवन स्थापित किया गया है। इस दिन बूँदाबाँदी हो रही थी और थोड़ी ठंड भी पड़ रही थी। इस मौसम की वजह से तो वातावरण में और अधिक दुख और गंभिरता फैले हुए महसूस हो रहा था और भवन के बाहर खड़े सब स्मारक भी देखने में अधिक उदासी मालूम हो रहे थे। स्मारक-भवन के अंदर आते ही हमने कई मूर्तियाँ देखीं और उनकी ऐसी सूरत थी जिसे देखकर ही मन में दर्द और सहानुभूति पैदा हुई। अभी अभी हँस रहे लोग इन मूर्तियों के सामने तुरंत शांत हो पड़े और उनके चेहरों पर गंभीरता ही चढ़ आयी। ऐसा लगता है कि अंदर में हवा भी बाहर की से ज्यादा भारी हो। वहाँ एक निर्देशक था, जिन्होंने दर्शन करते समय हमारे लिए व्याख्या दी। यहाँ कई जगहों पर हमने यह देखा कि विपत्ति-ग्रस्त लोगों के नाम दीवार पर उल्लिखित हैं। इनमें जो अब तक जिवित हैं, उनके नाम दीप से जलते हैं। जबकि जो मरे हुए हैं, उनके नाम पर चमक खोयी है। अभी तक जलते नामों की संख्या बहुत कम हुई है। इसके अलावा हमने बहुत सी तस्वीरें भी देखीं। ये तस्वीरें जापानियों द्वारा चीनी लोगों के साथ दुर्व्यवहार और हत्या के ठोस सबूत हैं। सभी प्रदर्शित तस्वीरें और वस्तुएँ देखकर मुझे सचमुच बहुत दुख हो गया, कई बार आँसू भी आँखों में भर आया।

 

 

    यह नानजिंग में हुई विपत्ति हमारे इतिहास में सबसे दुखी भाग है और लाखों चीनी लोग इस लड़ाई में मारे गए थे। लेकिन चीनी लोगों के लंबे समय तक संघर्ष के कारण, यह चौदह वर्ष चलती लड़ाई आखिर समाप्त हो गयी और अंजाम यह हुआ कि 1945 में जापानियों को झुकना पड़ा और चीनी लोगों को विजय मिला! हमें यह याद रखना चाहिए कि उन लड़ाई में लड़ते रहे वीरों के बिना आज हमारे जीवन में यह शांति और खुशी मिली हो। हालांकि चीन ने अंत में जापान को क्षमा दी, पर हमें कभी भी यह दुखी इतिहास और इन वीरों का योगदान नहीं भूलना चाहिये।

 

 

चूँकि हम शंघाई अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय के विद्यार्थी हैं और विदेशी भाषा सीख रहे हैं, हमारा कर्तव्य ही है कि विदेशी भाषाओं में विदेशी लोगों को चीन में हुई कहानियाँ सुनाएँ।                       

लहर(Chen Anlan)

2018.5.22

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