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13 December 2018 | By hiadmin | SISU

इस स्मृति स्थल पर दिल्ली के अन्य स्थानों से अधिक पेड़, पौधे फूल लगे हुए हैं, इसलिए देखने में वह स्मृति मानो सुंदर बाग जैसा है, जिसके एक कक्ष में गांधी जी अपने जीवन के अतिंम 144 दिन बिताए थे। इस कमरे में ज़रूरी फ़र्नीचर को छोड़कर कोई कुछ नहीं है, इसलिए हम इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि महात्मा गांधी जी अपने पूरे जीवन में बहुत मितव्ययी थे। गांधी जी विश्व में विख्यात होने के कारण इस स्मृति में मैंने भारतीय लोग ही नहीं, बल्कि विदेशी यात्री भी देखे। वयस्क ही नहीं, बल्कि छोटे बच्चे भी देखे।

24 अक्टूबर को हम आगरा पहुँचे और हमने ताज महल के दर्शन किए। पहले से ही मुझे पता था कि ताज महल तो विश्व के सात आश्चर्यों” में से एक हैं, इसलिए स्वयं ताज महल को देखने का मौका मिलने पर मैं बहुत उत्साहित हुई। ताज महल तक पहुँचने के लिए सबसे पहले एक विशाल द्वार में से प्रवेश करना पड़ता है। इसके सामने सुंदर बाग है, जिसमें दोंनों तरफ नाना प्रकार के फूल खिलते हैं, बीच में पतली नहर है। नहर के दोनों किनारे पर सरो के पेड़ों की कतार हैं। हम इस सुंदर दृश्य का आनंद लेते हुए बाग को पार करके आखिर ताज महल के सामने पहुँच गए। ताज महल सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है और सूर्य की रोशनी में यह इतना सुंदर लगता है कि मेरी निगाह लंबे समय तक उसपर जमकर रह गई। जब सूर्य की किरणों से टकराकर सफ़ेद इमारत चमकती है, तो एक अनोखी छटा छा जाती है। एक विशाल और ऊँचे चबूतरे पर चारों कोनों में मीनारें खड़ी हैं, और बीच में उसकी प्रमुख इमारत है।

ताज महल के अंदर आते ही हमें मुमताजमहल और शाहजहां की कब्रें मिलती हैं , इसके आसपास सुंदर संगमरमर की जाली है। कहते हैं कि इस जाली को बनाने के लिए अनेक कलाकारों ने बहुत परिश्रम किया था और इसे बनने में लगभग दस साल लगे थे।

सभी लोग जानते और मानते हैं कि ताज महल अपनी सुंदरता के लिए सारे संसार में प्रसिद्ध है, इसलिए मुझे खुशी है कि मैंने अपनी आँखों से ताज महल के दर्शन किए।

विदेश मंत्री से भेंट के बारे में

इस यात्रा के दौरान में हमने भारतीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज से भेंट की। वे भारत राजनीति में बहुत प्रभावशाली वक्ता हैं। सबसे पहले उन्होंने हमारे भारत आने का स्वागत किया। उन्होंने यह कहा कि अब भारत और चीन के संबंध ज़्यादा मज़बूत बन रहे हैं, लेकिन दोनों देश के सरकारों के बीच होने वाले सहयोग के अलावा, दोनों देश के विद्यार्थियों के बीच बातचीत करना भी बहुत आवश्यक है। उन्हें आशा है कि अगर मौका मिले, तो चीनी विद्यार्थी भारतीय विद्यार्थियों के घर में रहें, ताकि चीनी विद्यार्थी भारतीय संस्कृति को और भी अच्छी तरह से परिचित हो सकते हैं। मुझे उनकी बात बिलकुल ठीक लगती है, क्योंकि दोनों देश के सरकारें पारस्परिक संचार को विशेष महत्व दे रही हैं।

इस यात्रा से मुझे यह भी जानने का अवसर भी मिला है कि भारतीय और चीनी लोगों के बीच गहरी मित्रता है। मुझे आशा है कि दोनों देश के संबंध मज़बूत और प्रगाढ़ होते रहेंगे।एक दूसरे से सीखेंगे और परस्पर एक दूसरे को समझेंगे। इसलिए मुझे इस बात का ज्ञान है कि चूँकि मैं शंघाई अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विश्वविद्यालय की विद्यार्थी हूँ और हिंदी को एक विदेशी भाषा के रूप में सीख रही हूँ, इसलिए मेरा कर्तव्य भी है कि हिंदी में भारतीय लोगों को चीन की कहानियाँ सुनाऊँ और भारत की कविताएँ और कहानियाँ आदि आदि चीनी में अनुवाद करके चीनी लोगों तक भी पहुँचाऊँ।

यद्यपि एक सप्ताह किसी देश अथवा स्थान को जानने के लिए पर्याप्त नहीं है फिर भी इस यात्रा में मुझे भारत के कई महत्वपूर्ण शहर ही देखने को नहीं मिले बल्कि मैं कई भारतीय लोगों से और कई भारत के महत्वपूर्ण नेताओं और शिक्षकों से भी मिली, और भारतीय जनजीवन को करीब से देखा। यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था। इससे भारत के बारे में मेरी जानने की जिज्ञासा और भी बढ़ी है और मैं चाहती हूँ कि मैं भारत के संदर्भ में ऐसी यात्राएं कर और भी जानकारी जुटाऊँ और इसका लाभ और भारत चीन के आपसी सहयोग और विकास के लिए करूँ।(लहर/Chen Anlan)

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